सर्वत्र विकास हो
सर्वत्र विकास हो
आप का विकास हो।
समाज का विकास हो।
सुख ,खुशी, समृद्धि की त्रिवेणी बहे,
हमारे देश का विकास हो।
रहें न कोई भूखा।
खेत में पड़े न सूखा।
रत्नप्रसविनि हो वसुधा।
खाये न कोई खाना रूखा।
सभी ओर हरियाली हो।
जीवन में खुशहाली हो।
नीयत सबकी साफ़ रहे।
न किसी घर में ताला ताली हो।
सभी ओर मंगल हो।
नाश हर जगह से अमंगल हो।
निर्भीक हो रहें सभी,
घर हो या जंगल हो।
विकास के इस पथ पर।
बैठ कर उत्साह रथ पर।
साहस युक्त होकर बढ़ें।
पहुँचे इच्छित गंतव्य पर।
गीत गाएँ अति हर्ष के।
स्नेह के स्पर्श के।
ढोलकों की थाप हो।
सर्वे भवन्तु सुखिनः का राग हो।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
Swati chourasia
21-Nov-2021 07:36 AM
Very beautiful 👌
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Sneh lata pandey
21-Nov-2021 11:56 AM
Thanks
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Shilpa modi
20-Nov-2021 10:07 PM
शानदार रचना
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Sneh lata pandey
21-Nov-2021 11:55 AM
Thanks sis
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